नई दिल्ली. तेजी से आगे बढ़ रही तकनीकी दुनिया में हम बैंकिंग, ऑनलाइन पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग जैसे जरूरी कामों के लिए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर निर्भर हो गए हैं. आप भी दुकान या ऑनलाइन सामान मंगाने के लिए कैश में पेमेंट नहीं करते होंगे. आमतौर पर लोग डिजिटल तरीकों से ही पेमेंट करते हैं. हालांकि, तकनीक हमारी बढ़ती निर्भरता ने कई मायनों में हमें काफी आराम दिया है, लेकिन अपने साथ कई रिस्क भी लेकर आया है. इसने ऑनलाइन फ्राॅड और स्कैम्स का जोखिम बढ़ा दिया है. कई मामलों में देखा गया है कि मोबाइल पर एक छोटा सा लिंक आता है और उस पर क्लिक करते ही बैंक से लाखों की रकम उड़ जाती है. इसे ऑनलाइन धोखाधड़ी कहा जाता है, जो आज बहुत तेजी से बढ़ रही है. स्कैमर्स कोई न कोई रास्ता निकालकर अपने गलत मंसूबों को अंजाम देते हैं. कभी लिंक भेजकर तो कई बार क्यूआर कोड के जरिए वो ऐसा करने में कामयाब होते हैं.
आजकल डिजिटल अरेस्ट स्कैम काफी हो रहा है. भारत में ये बहुत आम हो गया है. इसकी गंभीरता को देखते हुए यूपीआई बनाने वाली नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ को लेकर एडवाइजरी जारी की है और लोगों से सतर्क रहने को कहा है.
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क्या है डिजिटल अरेस्ट ?
अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि ये डिजिटल अरेस्ट है क्या? डिजिटल अरेस्ट में स्कैमर, सरकारी अधिकारी, पुलिस अधिकारी, सीबीआई एजेंट या टैक्स अधिकारी बनकर किसी व्यक्ति को कॉल करते हैं. ये वीडियो कॉल भी हो सकती है. स्कैमर्स, लोगों को बताते हैं कि उन्होंने ड्रग तस्करी, टैक्स चोरी आदि जैसे क्राइम किए हैं और उन्हें डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया गया है. फर्जी आरोप लगाने के बाद स्कैमर लोगों को कानूनी कार्रवाई करने या आरोप वापस लेने के लिए पैसे मांगने के लिए डराते हैं.
इन स्कैमर्स के पास आपकी ट्रैवल हिस्ट्री, ईमेल का पता, फोन नंबर, कहां नौकरी करते हैं जैसे सारी पर्सनल जानकारी होती है. इसलिए जब वह आपके बारे में बताना शुरू करता है तो आप उस पर यकीन करने लगते हैं और उसकी बातों के फंसते चले जाते हैं. कई लोग उनकी बातों को सच मान लेते हैं और मामला रफा-दफा करने के लिए मोटी रकम चुका देते हैं. ऐसे स्कैम से बचने के लिए ये जरूरी है कि आप इनके पैंतरों और तरकीबों के बारे में पहले से जान लें, ताकि आप उनके जाल में न फंस पाएं.
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स्कैमर्स की पहचान कैसे करें?
1. अगर आपको किसी पुलिस, सीबीआई या अन्य सरकारी अधिकारी से गंभीर अपराध करने और तत्काल कानूनी कार्रवाई करने के बारे में असामान्य कॉल आती हैं, तो ये पहला इशारा हो सकता है.
2. स्कैमर्स आपको डराने की कोशिश करेंगे और आपको गिरफ्तार करने की धमकियां देंगे.
3. स्कैमर्स के पास आपकी सारी व्यक्तिगत जानकारी होगी और कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए आपको UPI के जरिए पैसे देने को कहेंगे.
4. स्कैमर्स आपको वीडियो कॉल भी कर सकते हैं, जिसमें वो आधिकारिक वर्दी में दिख सकते हैं.
डिजिटल अरेस्ट स्कैम से कैसे बचें?
– किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी या UPI पैसे शेयर न करें. क्योंकि सरकार या पुलिस आपसे इस तरह पैसे नहीं मांगते.
– इस तरह की कॉल आने पर घबराएं नहीं. अगर कुछ समझ नहीं आ रहा है तो किसी और की मदद लें और मामले को पूरी तरह समझ लें कि आरोप सही है या फर्जी .
– कॉल करने वाला स्कैमर सबसे पहले ये चाहता है कि आप घबरा जाएं और घबराहट में आप उसकी सारी डिमांड पूरी करें. इसलिए खुद को शांत रखें और कॉल करने वाले की पहचान करने की कोशिश करें, जैसे कि ट्रू कॉलर पर नाम चेक कर सकते हैं.
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– सबसे जरूरी बात ये है कि आपके पास अगर ऐसी कोई कॉल आती है तो नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर डायल करें और बातचीत कर मामले के बारे में बताएं ताकि स्कैमर्स को ट्रैक किया जा सके.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 23:04 IST