काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। यहां प्रतिदिन कई आरतियां होती हैं, लेकिन सप्तर्षि आरती का विशेष महत्व है। इस आरती की परंपरा और इसका महत्व क्या है? आइए जानते हैं।
सप्तर्षि आरती कब होती है?
सप्तर्षि आरती प्रतिदिन रात्रि 7:00 बजे होती है। यह मंदिर की अंतिम आरती होती है और इसे बहुत ही भव्य तरीके से संपन्न किया जाता है।
सप्तर्षि आरती कौन करता है?
इस आरती को सात विद्वान ब्राह्मण पुरोहित मिलकर संपन्न करते हैं। इन्हें विशेष रूप से इस आरती को करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
सप्तर्षि आरती का महत्व
- ऐसा माना जाता है कि सप्तर्षि आरती स्वयं भगवान शिव को समर्पित सप्तर्षियों के नाम पर की जाती है।
- यह भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा को जागृत करने के लिए की जाती है।
- भक्तों का मानना है कि इस आरती में शामिल होने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे लें सप्तर्षि आरती का दर्शन?
- श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से आरती में शामिल हो सकते हैं।
- मंदिर परिसर में विशेष पास के द्वारा भी इस आरती में भाग लिया जा सकता है।
निष्कर्ष
काशी विश्वनाथ मंदिर की सप्तर्षि आरती एक आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें शामिल होकर भक्तों को अपार शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि आप वाराणसी जाते हैं, तो इस दिव्य आरती का दर्शन अवश्य करें।